Mumbai ने कैसे बनाया एक रात में 2000 टन का Bridge?

2000 टन का Bridge एक रात में। Mumbai ने कैसे बनाया एक रात में 2000 टन का Bridge?

Mumbai ne kese banaya ek raat me 2000 tonne ka Bridge
Mumbai ne kese banaya ek raat me 2000 tonne ka Bridge

अगर सैटेलाइट मैप्स को देखें वो भी पुराने वाले तो आपको ये नजर आएगा कि जो मुंबई का फेमस बनरा वर्ली सीलिंग है वहां पर वर्ली साइड में ये पूंछ छोड़ी गई थी बहुत लंबे समय से जब बना था तभी से छोड़ी गई थी लेकिन इस पूछ का इस्तेमाल नहीं हो रहा था जो रोड है वो एक टर्न लेते हुए वर्ली में एग्जिट करता था लेकिन फाइनली रोड बनने के कई सालों बाद में इस पूछ का इस्तेमाल कर लिया गया है और यहां पर लगा दिया गया है एक 2000 मेट्रिक टन का बोस्ट्रिंग आर्क ब्रिज और ऐसे भी और कुछ ब्रिज लगने हैं ये कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के कंप्लीशन के अंदरएक बहुत बड़ी कड़ी तो है ही लेकिन ये ब्रिज सिर्फ और सिर्फ अपने आप में भी एक बहुत ही बड़ा इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट है।

ये सब क्या चीजें हैं इसी के बारे में आज हम समझेंगे तो दोस्तों जो कोस्टल रोड प्रोजेक्ट है वो मरीन ड्राइव से शुरू होता है फिर एक टनल में जाता है फिर टनल से बाहर आते हुए रिक्लेम जमीन पर अपना सफर शुरू करता है मल्टीपल इंटरचेंजेज होने के बाद में फाइनली जो वर्ली इंटरचेंज है वहां पर ये बैंड ड्रा वली सीलिंग के साथ में जुड़ता है। जिसके वजह से ट्रैफिक सीधे नरीमन पॉइंट या मरीन ड्राइव से लेकर बैंड की तरफ आगे निकल सकता है बिना इंटरनल रोड्स का इस्तेमाल किए वैसे आगे वरसोवा तक भी सीलिंग बन रहा है।

लेकिन करेंटली यहां तक कंसीडर करते हैं यहां पे इसीलिए जो पूरा रोड स्ट्रक्चर था वो तो बन गया क्योंकि रिक्लेमेशन काफी पहले हो गया था टनल्स भी बन गई तकरीबन एक साल के समय में लेकिन जो मेन बैंडर वली सीलिंग से कनेक्ट से देना था वो बन नहीं पाया यहां पे जो फिशरमैन कम्युनिटी थी इनका कहना था कि यहां पर उनको जो ब्रिज के बीच के स्पंस चाहिए वो बहुत ही ज्यादा लंबे चाहिए इनफैक्ट कई बार अनरियलिस्टिक डिमांड्स की गई थी और इसके वजह से मल्टीपल नेगोशिएशंस हुई थी बीएमसी और फिशरमैन कम्युनिटीज के बीच में फाइनली बातचीत होने के बाद में 136 मीटर के स्पैन को डिसाइड किया गया और अगर आप थोड़ा सोचे कि 136 मीटर कितना होता है।

तो ओबवियसली काफी लंबा ही ये स्पैन होता है और इसको बनाने के लिए एक मेटल की बूस्टिंग आग ब्रिज का इस्तेमाल करने का डिसीजन लिया गया लेकिन इस ब्रिज को यहां पर बनाया नहीं गया और इंजीनियरिंग चैलेंज इसलिए था ब्रिज को जो है यहां से तकरीबन 63 किमी दूर उरण जो जेएनपीटी या जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट जो है। उसके पास का इलाका है वहां पे बनाया गया असेंबल किया गया और स्टार्टिंग से ही इसे एक बार्ज पे रखा गया बार्ज बेसिकली एक फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म की तरह होता है।

जिसके ऊपर इसे बनाया गया और फिर जब ये पूरा का पूरा ब्रिज बनके तैयार हो गया उसके बाद में इसे फ्लोट किया गया पानी के अंदर और पानी में फ्लोट होता हुआ सफर तय करता हुआ यह ब्रिज पहुंचा मुंबई और फिर मुंबई में ये रात के समय पे इंस्टॉल किया गया वैसे ब्रिज सिर्फ 2000 मेट्रिक टन का था लेकिन जो पूरा बार्ज है वो 11000 मेट्रिक टन का यहां पर स्पैन रखता था इसके बाद में जैक्स एंड कुछ दूसरे सिस्टम्स का इस्तेमाल करते हुए इसे लिफ्ट किया गया और इसे फाइनली प्लेस किया गया अपने फाइनल सेक्शन के ऊपर काइंड ऑफ जो लोग मुंबई में से इस रोड से ट्रेवल करते होंगे उनके लिए सरप्राइज होगा क्योंकि एक दिन पहले तक शाम तक यहां पे कोई भी ब्रिज लगा हुआ नहीं था और अचानक से अगले दिन उन्हें 136 मीटर का एक ब्रिज देखने को मिलेगा वैसे और ऐसे ब्रिजे लगने हैं दूसरे साइड के लेन के लिए और उसके पहले भी एक ब्रिज लगना है तो ऐसे मल्टीपल इंस्टॉलेशंस देखने मिलेंगे लेकिन अब तक दुनिया में इस तरीके के जो इंस्टॉलेशंस हुए हैं समुद्र में उसके हिसाब से ये वन ऑफ दी बिगेस्ट ब्रिजे है।


मुंबई के लिए ये फायदे में कैसा है?

इसके वजह से जो कोस्टल प्रोजेक्ट है वो बंडा वली सीलिंग से जुड़ जाएगा और इसके कारण ये भी उम्मीद रख सकते हैं कि अगर काम सही से रहा और मानसून में काम सही से होता रहा तो हमें पूरा ब्रिज जो है कंप्लीट होते हुए नजर आएगा इनफैक्ट जो मेन स्पेंस अगर गर्मी में ही कंप्लीट हो गए तो मानसून में कोई बहुत बड़ा रिस्ट्रिक्शन नहीं आएगा काम करते वक्त तो जो लोग मरीन ड्राइव से लेकर पूरा बंडा तक ट्रेवल करना चाहते हैं बहुत कम समय में उनके लिए भी सहूलियत हो जाएगी।

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